धीरेंद्र दोहराएंगे 30 साल पहले का इतिहास !, 30 साल पहले कोटद्वार विधानसभा में हुई थी निर्दलीय की जीत

धीरेंद्र दोहराएंगे 30 साल पहले का इतिहास !, 30 साल पहले कोटद्वार विधानसभा में हुई थी निर्दलीय की जीत

 

एनसीपी न्यूज़।  कोटद्वार विधानसभा हमेशा अप्रत्याशित परिणामों की गवाह रही है,  30 साल पहले इसकी बानगी 1992 का उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव रहा है, जिसमें कोटद्वार से भाजपा के वरिष्ठ नेता भारत सिंह रावत को निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी ने दो पत्ती से चुनाव हराया था।  2012 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार खंडूरी है जरूरी भुवन चंद खंडूरी इसी विधानसभा से चुनाव हारे और भाजपा सरकार बनाने से चूक गई। यानी यह माना जाए 2012 के खंडूरी है जरूरी, 2022 में खंडूरी है मजबूरी कोटद्वार की नियति बन चुकी है। वहीं विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस केवल सुरेंद्र सिंह नेगी की छवि के भरोसे चुनाव लड़ रही है।

अब बात करें कोटद्वार विधानसभा के तीसरे प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह चौहान की जो लंबे समय से भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता और जिला अध्यक्ष रहे। लेकिन भाजपा ने उनको न तो नगर निगम में टिकट दिया और न ही 2022 का विधानसभा टिकट दिया। बावजूद इसके उन्होंने नगर निगम चुनाव में मजबूत प्रदर्शन दिखाया। नगर निगम में मिले जनादेश से साफ है कि जनता सब कुछ जानती है। धीरेंद्र चौहान के शब्दों में कहें तो यह जनता का चुनाव है। इसलिए जनता को इन बचे हुए दो दिनों में यह मंथन करना है कि उन्हें राष्ट्रीय दलों द्वारा थोपे अहंकारी, गैर मूल निवासी या पैराशूट उम्मीदवारों को चुनना है कि एक सरल, सौम्य या मिलनसार व्यक्ति को। 

नामांकन भरने के बाद से अब तक उनके द्वारा आयोजित समस्त कार्यक्रमों में उमड़ती भीड़ से यह साफ लग रहा है कि इस बार कोटद्वार का किला धीरेंद्र चौहान भेद सकते हैं। शुक्रवार की दुर्गापुरी चौक चौराहे की रैली को देखकर कोई भी राजनीतिक पंडित यह अनुमान लगा सकता है कि वास्तव में जनता की सहानभूति धीरेंद्र चौहान के पक्ष में है।

राष्ट्रीय दलों के आम कार्यकर्ताओं के लिये भी यह अवसर चिंतन मनन का है कि क्या वे केवल इन पार्टियों के लिए झण्डे- डंडे ही उठाते रहेंगे या उनको कोई सम्मान भी मिलेगा। क्योंकि जब भी आम कार्यकर्ता को सम्मान की बात आती है तो ये राष्ट्रीय दल सम्मान उसको देते है जो धनबल, बाहुबल या पहुँच वाले होते हैं। 

धीरेंद्र चौहान के शब्दों में चूंकि यह जनता का चुनाव है, इसलिए जनता को यह ध्यान रखने की जरूरत है बचे हुए दो दिनों में ये दल उनको जातिवाद, धर्मवाद, राष्ट्रवाद, भाई-भतीजा में फंसाने का भरसक प्रयास करेंगे। जनता को इनसे बचने की और संभलने की आवश्कता है।

 

 

Ravikant Duklan (MA. MassCom )

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *