मरने से पहले भी खतरनाक थे विकास दुबे के इरादे, 2 पुलिसकर्मियों को मारी थी गोली
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश का सबसे खतरनाक गैंगस्टर और कानपुर हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया लेकिन विकास दुबे कितना खतरनाक अपराधी था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस की गिरफ्त में होने के बावजूद उसने पुलिस कर्मियों की बंदूक छीनकर पुलिस वालों पर ही गोली चला दी।
बताया जा रहा है कि गाड़ी के पलटने पर विकास दुबे ने अपने साथ बैठे पुलिस कर्मियों से राइफल छीनी और उन पर गोली चला दी जिसमें 2 पुलिस कर्मी घायल हो गए लेकिन साथ में चल रही पुलिस की दूसरी गाड़ियों में बैठे पुलिस कर्मियों ने हालात की गंभीरता को देखते हुए विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया।
इंडिया टीवी को कानपुर आईजी ने बताया कि विकास दुबे की फायरिंग में 2 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जबकि 4 पुलिसकर्मी गाड़ी पलटने की वजह से घायल हुए हैं।
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विकास दुबे का अपराध जगत से गहरा नाता रहा है। राजनीति संरक्षण के कारण उसका अपराध फलता-फूलता रहा। अपने संरक्षण के लिए राजनीति का भी उसने चोला ओढ़ रखा था। इसके खिलाफ 60 अपराधिक मुकदमें दर्ज थे। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी था।
वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्घेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था। कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप था।