धर्मेंद्र के साथ फोटो शेयर कर बोले-‘मुझे खुशी है कि पर्दे के पीछे क्या होता है, इस पर अब खुलकर बहस हो रही है’
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अभय देओल सोशल मीडिया पर खुलकर हर मुद्दे पर अपनी बात रख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर नेपोटिज्म को लेकर एक लंबी चौड़ी पोस्ट लिखी है। अभय देओल परिवार से ताल्लुक रखते हैं।वह धर्मेंद्र के छोटे भाई अजीत देओल के बेटे हैं। उन्हें धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में लॉन्च करने के लिए अपने प्रोडक्शन हाउस विजेता फिल्म्स के अंतर्गत 2005 में सोचा न था बनाई थी।
अभय ने की धर्मेंद्र की तारीफ:अभय ने धर्मेंद्र के साथ अपनी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘मेरे अंकल, जिन्हें मैं प्यार से डैड कहता हूं। एक आउटसाइडर थे, जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम बनाया। मुझे खुशी है कि पर्दे के पीछे क्या होता है इसपर अबखुलकर बहस हो रही है। नेपोटिज्म बस इसका एक छोटा सा हिस्सा है। मैंने अपने परिवार के साथ केवल एक फिल्म की, मेरी पहली फिल्म, मैं आभारी हूं कि मुझे ये सौभाग्य मिला। मैं अपने करियर का रास्ता बनाने के लिए काफी आगे तक आया, डैड ने हमेशा प्रोत्साहित किया। मेरे लिए वह प्रेरणा थे।’
नेपोटिज्म हर जगह: अभय ने आगे लिखा, ‘नेपोटिज्म हमारी संस्कृति में हर जगह है, चाहे वह राजनीति हो, बिजनेस हो या फिल्म। मैं इसके बारे में अच्छी तरह से जानता था और इसने मुझे अपने पूरे करियर में नए निर्देशकों और निर्माताओं के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया। इस तरह मैं ऐसी फिल्में करने में सक्षम हो गया, जिन्हें “Out of the box” माना जाता था। मुझे खुशी है कि उन फिल्मों में से कुछ को जबरदस्त सफलता मिली और उन फिल्मों के कलाकार भी सफल रहे।’
अभय ने आगे कहा- ‘नेपोटिज्म हर देश में है, भारत में नेपोटिज्म ने एक और आयाम लिया है। जाति दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां बड़ा रोल प्ले करती है। आखिरकार, ये “जाति” है जो ये तय करती है कि एक बेटा अपने पिता के काम को आगे चलाता है, जबकि बेटी से शादी करके, एक हाउस वाइफ होने की उम्मीद की जाती है।’
‘हमें बदलाव की जरूरत’: अभय आगे बोले,’अगर हम बदलाव के लिए सच में गंभीर हैं तो बाकी आयामों को छोड़कर हमें सिर्फ एक आयाम या एक इंडस्ट्री पर ही फोकस नहीं रखना होगा। ऐसा करने से हमारी कोशिश अधूरी मानी जाएगी। हमें सांस्कृतिक बदलाव चाहिए।
आखिर हमारे फिल्म निर्माता, राजनेता और व्यापारी कहां से आते हैं? वे सभी लोगों की तरह ही हैं। वे उसी सिस्टम के अंदर बड़े होते हैं जैसे हर कोई। वे अपनी संस्कृति की परछाई हैं। प्रतिभा हर जगह चमकने का मौका चाहती है। जैसा कि कुछ हफ्तों में हमने पाया है कि कई सारे रास्ते हैं जिससे एक आर्टिस्ट या तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता है या फिर उसे खींच कर नीचे गिरा दिया जाता है। ‘
अभय आगे कहते हैं- ‘मुझे खुशी है कि आज कई एक्टर सामने आ रहे हैं और अपने अनुभवों के बारे में बोल रहे हैं। मैं सालों से अपने आपको लेकर आवाज उठाता आ रहा हूं, लेकिन एक आवाज के रूप में मैं अकेले केवल इतना ही कर सकता था। जो इंसान बोलता है उसे बदनाम करना आसान है। और मुझे मैं समय-समय पर ये मिलता है। लेकिन एक ग्रुप के रूप में ये मुश्किल हो जाता है। शायद ये हमारा टर्निंग मोमेंट है।