दुगड्डा ब्लॉक के घाड़ क्षेत्र में गुलदारों का आतंक, खौफ के साए में जीने को मजबूर ग्रामीण

एनसीपी न्यूज़। कोटद्वार। दुगड्डा ब्लाक के घाड़ क्षेत्र में लगातार जंगली जानवरों का खतरा बना हुआ है जिससे ग्रामीणों के सामने आजीविका के साथ-साथ खुद को बचाने की चुनौती भी खड़ी हो गई है। घाड़ क्षेत्र की पूरी आबादी लगभग 400 से 450 के लगभग है। क्षेत्र के अंतर्गत 7 ग्राम सभाएं हैं जिनमें मुंडला, श्यालिंगा, रामड़ी, पुलिडॉ, उतिरछा, बल्ली व मथाना हैं। श्यालिंगा ग्रामसभा के तश्याली गांव की श्रीमती कमला देवी कहती हैं कि हाल ही में उनके बैल को गुलदार ने निवाला बना दिया है जिसके कारण उनके सामने खेती का संकट उत्पन्न हो गया है कहा कि खेती करने का एकमात्र सहारा बैल होते हैं ऐसे में उनके एक बैल को गुलदार द्वारा मारे जाने से वह कैसे खेती कर पाएंगी। बताया कि गुलदार ने 1 माह पहले ही उनकी दुधारू गाय को भी मार डाला ऐसे में वह किस प्रकार से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएंगी। इसी ग्रामसभा के भुनियार गांव के आलम सिंह कहते हैं कि उनके बैल को गुलदार ने मार डाला। ग्राम सभा के विद्यादत्त कहते हैं कि उनकी दुधारू गाय को भी गुलदार ने मार डाला।
कमला देवी का मृत बैल
घाड़ क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार एक और पलायन को रोकने की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन दूसरी ओर जो लोग गांव में रहकर पशुपालन व खेतीबाड़ी से अपना जीवन यापन करना चाहते हैं उनके लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं जुटा पा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वह खेती कर रहे हैं तो जंगली जानवर जैसे कि सूअर, बंदर व भालू उनकी खेती को खराब कर रहे हैं ऐसे में वह खेती कैसे करें। यदि वे पशुपालन कर रहे हैं तो गुलदार उनको मार रहा है ऐसे में वह जाएं तो जाएं कहां।
ग्रामीणों का कहना है कि दशकों से वह खेती व पशुपालन करते हुए आ रहे हैं और वह इसको छोड़ना भी नहीं चाहते। कहा कि पूरे इलाके में दर्जनों के हिसाब से गुलदार देखे जा सकते हैं। जिसके कारण ग्रामीणों के सामने भी जीने का संकट उत्पन्न हो गया है। गुलदार इतने ज्यादा ज्यादा हो गए हैं कि उनका घर से बाहर निकलना भी दूभर हो गया है। हर वक्त यह डर लगा रहता है कि कहीं गुलदार उन पर हमला न कर दे। बच्चों को स्कूल भेजने में भी अब डर लगता है हमेशा यह डर बना रहता है कि कहीं गुलदार बच्चों पर हमला न कर दे बच्चे भी अब स्कूल जाने से डरने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि घरों से स्कूल जाने का रास्ता बेहद खराब है जिसमें कि तमाम झाड़ियां उगी हुई हैं। इन झाड़ियों में हमेशा गुलदार के छुपे होने की आशंका बनी रहती है।
ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि यदि सरकार पुलिंडा- स्यालिंगा मोटर मार्ग का निर्माण कर दे तो स्कूली बच्चे व ग्रामीण आसानी से इधर- उधर जा सकते हैं व मोटर मार्ग बनने से गुलदार का खतरा भी कम किया जा सकता है। कमला देवी, विद्यादत्त, आलम सिंह व लक्ष्मण सिंह भावुक होते हुए कहते हैं कि वह अपने गांवों को नहीं छोड़ना चाहते बस सरकार उनकी मूलभूत सुविधा सड़क का निर्माण करा दे जिससे वह और उनके बच्चे सुरक्षित रह सके। कहा कि मोटर मार्ग बनने से वह आसपास के इलाकों में जाकर अपना इलाज भी सुगमता से करा सकते हैं। अन्यथा की स्थिति में उनका स्वास्थ्य भगवान भरोसे ही है।