विश्व को वेदमय किये जाने की जरूरत- चिदानंद सरस्वती

विश्व को वेदमय किये जाने की जरूरत- चिदानंद सरस्वती

एनसीपी न्यूज़। कोटद्वार। कण्वाश्रम स्थित वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के अंतिम दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिनमें मुख्य आकर्षण देवेंद्र फौजी व सौरभ सिलमाना द्वारा लोहे के सरियों को आँख, कान व दाँतो से मोड़ना व सरियों व रस्सियों से गाड़ियों को खींचना रहा। 

कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्रमुख यशुपाल जयंत सरस्वती (भीम)  द्वारा की गई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अब वह कभी भी अपने कार्यक्रमों में किसी राजनेता को नही बुलाएंगे। कार्यक्रम में आने के लिए पहले नेता हाँ कर देते हैं और फिर पहुंचते नहीं हैं। जिससे आम जनमानस में गलत संदेश जाता है। कहा कि कण्वाश्रम में जब वह आये थे तो उन्होंने यहां असीम शांति महसूस की थी। इसी शांति को देखते हुए उन्होंने यहाँ गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस महाविद्यालय की शुरुआत की थी। कहा कि वर्तमान में यहाँ की आध्यात्मिक शान्ति को भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। असामाजिक तत्वों द्वारा इन इलाकों में आकर नशीले पदार्थों का सेवन व मांस भक्षण करके इलाके की आध्यात्मिक पवित्रता को खंडित किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि 5 किलोमीटर के दायरे तक मांस विक्रय पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। साथ ही एक स्थायी पुलिस चौकी भी यहाँ स्थापित होनी चाहिए जिससे असमाजिक तत्वों पर रोक लगाई जा सके। कहा कि इस आशय का मांगपत्र वह कई बार एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्यवाई नही हुई।

कार्यक्रम के अंतिम दिन के मुख्य अतिथि के रूप में परमार्थ निकेतन आश्रम के संस्थापक व आध्यात्मिक गुरु चिदानंद सरस्वती पहुंचे। गुरुकुल महाविद्यालय के प्रमुख यशुपाल जयंत सरस्वती (भीम) द्वारा उनका स्वागत किया गया।

अपने संबोधन परमार्थ निकेतन आश्रम के संस्थापक व आध्यात्मिक गुरु चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमे फिर से वेदों की ओर लौटने की आवश्यकता है। हमें पूरे विश्व मे बिना हित के सेतु बनाना होगा। कहा कि भारत को भारत की नज़र से देखे जाने की आवश्यकता है। विकास और विरासत को साथ-साथ आगे बढ़ाए जाने की की आवश्यकता है। कहा कि हमें सरल बनना है सस्ता नही। वर्तमान में पूरे विश्व को वेदमय किये जाने की जरूरत है। नदियों को बचाये जाने की भी उन्होंने लोगों से अपील की।

इसके बाद गुरुकुल के ब्रह्मचारी विद्यार्थियों ने योग व ध्यान की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। विद्यार्थियों द्वारा आग के गोले को भी पार किया गया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में देवेंद्र फौजी व सौरभ सिलमाना द्वारा लोहे के सरियों को आँख, कान व दाँतो से मोडा गया। उसके बाद दोनों ने सरियों व रस्सियों के सहारे गाड़ियों को खींचा जिसको देखकर उपस्थित जनसमूह मंत्र मुग्ध हो गया। 

Ravikant Duklan (MA. MassCom )

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