पहाड़ों में संजीवनी साबित हो रहे हैं चेक-डैम, बूंगधार व कालेश्वर में बने चेक-डैम
एनसीपी न्यूज़। एक और जहां शहरों में लगातार जनसंख्या दबाव के चलते हैं वहां का भू-जलस्तर गिरता जा रहा है, वही पहाड़ों में भी ऐसी प्राकृतिक जल-स्त्रोत जिनको हम पधेरे, झरने, छवया आदि कहते थे और जिनमें निर्बाध रूप से जल बहता रहता था वह भी अब ग्लोबल वार्मिंग के चलते सूखने लगे हैं। जिसके कारण पहाड़ों में रहने वाले लोगों व मवेशियों के सामने जल का संकट उत्पन्न हो चुका है। ऐसे में यदि वर्षा के पानी को संरक्षित किया जाए तो काफी हद तक जल को तो बचाया ही जा सकता है साथ ही धरती के जलस्तर को भी बढ़ाया जा सकता है ।
इसी कड़ी में बेहद संजीदगी से कार्य कर रहा है कोटद्वार का लघु सिंचाई विभाग। लघु सिंचाई विभाग जो न सिर्फ जल संरक्षण को लेकर प्रयासरत है, बल्कि वह अब तक वह दुगड्डा ब्लॉक के कई गांव में चेक-डैम बना कर इस प्रतिबद्धता को पूरा कर चुका है। लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता राजेंद्र रावत का कहना है कि अब तक उनका विभाग दुगड्डा ब्लॉक के ग्राम बूंगधार व कालेश्वर में चेक-डैम बना चुके हैं। इसके अलावा उनका विभाग ग्राम कांडई, मथाण, चौंडली व हनुमंती आदि में भी चेक-डैम बना रहे हैं। सहायक अभियंता राजेंद्र रावत बताते हैं कि इन चेक-डेमों से न केवल आसपास के लोगों को खेती की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा बल्कि आसपास के मवेशियों के लिए भी जल उपलब्ध रहेगा।
यह लघु सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का ही परिणाम है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड के लघु सिंचाई विभाग को बेहतर प्रबंधन व परियोजनाओं के लिए ही जल संरक्षण के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।
अमूमन आम जनमानस में यह भावना बनी रहती है कि सरकारी विभागों में कार्य लेटलतीफी से या सुचारू रूप से नहीं होता है। लेकिन कुछ विभाग ऐसे भी है जो इस अवधारणा के अपवाद स्वरूप है और इनकी बानगी हैं बूंगधार व कालेश्वर के चेक-डैम।