ईड़ा अवैध कटान में डीएफओ की भूमिका संदिग्ध
एनसीपी न्यूज़। ईड़ा अवैध कटान मामले में लैंसडौन वन प्रभाग की भूमिका लगातार संदिग्ध होती जा रही है जहां एक और निचले स्तर के कर्मचारियों को निलंबित कर अब उनको बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है उससे यही लगता है कि पूरा प्रकरण मात्र एक शेक्सपियर का नाटक था। पूरे मामले में पर्दा करने के लिए यह प्रयास किया गया कि निचले स्तर के कर्मचारियों को निलंबित कर मामले को ठंडे बस्ते में डाला जाए और उच्च स्तर पर अपने आप को कवच दिया जाए।
यदि ऐसा नहीं होता तो लालढांग रेंज में दागदार लकड़ी के कटान के ठेकेदार जिसके खिलाफ चार्ज शीट दर्ज है उसको मात्र इस वजह से कि वह तत्कालीन सत्ताधारी दल से संबंधित है वर्तमान डीएफओ द्वारा पुनः इडा में कटान की इजाजत नही दी जाती। बावजूद इसके यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा सा अर्थ है इसमें उच्च अधिकारी या डीएफओ के निजी स्वार्थ शामिल थे। निलंबित कर्मचारियों द्वारा यह सवाल उठाना लाजमी है कि यदि विभाग के शीर्ष स्तर पर चार्जशीट वाले ठेकेदारों को अनुमति नहीं दी जाती तो शायद वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराए जाते। इतना ही नहीं जबकि यह पता नहीं है कि अवैध कटान में शामिल लकड़ियां किसके अधीन है। तब वर्तमान शीर्ष नेतृत्व द्वारा जल्दबाजी में बहाली का प्रयास करना सवालों के घेरे में आता है। तत्कालीन उच्च अधिकारी द्वारा पहले फॉरेस्टर बाद में फॉरेस्ट गार्ड फिर दबाव के चलते एसओजी व अत्यधिक दबाव के चलते (जीजा- साला ) रेंज अधिकारी को सस्पेंड करना मात्र एक औपचारिकता को दर्शाता है। सवाल यह है कि जनता को इस बात का आश्वासन तो मिलना ही चाहिए कि आखिरकार पूरे प्रकरण का सच क्या है जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।