मलाई खाएं विभाग, परिणाम भुगते जनता

एनसीपी न्यूज़। कोटद्वार। पिछले 6 सालों से लगातार हो रहे अवैध खनन के चलते शुक्रवार को सुखरो पुल आखिरकार 4 इंच नीचे धँस गया, जिसका खामियाजा सीधे कोटद्वार व भाबर की जनता को भुगतना पड़ा। विभागों ने संयुक्त जांच दल बनाकर आनन-फानन में यह निर्णय लिया कि पुल को आम लोगों के लिए बंद कर दिया जाए। लेकिन जनता को वैकल्पिक मार्ग देने में ये नाकाम रहे। यानी कि विभागों और खनन- माफियाओं की मिलीभगत का खामियाजा सिर्फ जनता को भुगतना पड़ेगा।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सुखरो पुल से 500 मीटर की दूरी पर तमाम स्टॉक बने हुए थे। जिसको राजस्व विभाग, वन विभाग और लोक निर्माण विभाग खुली आंखों से देख रहा था। बावजूद इसके कोई ठोस कार्यवाई करने के ये विभाग खनन माफियाओं व सफेदपोश नेताओं की परिक्रमा करते रहे। क्योंकि तमाम खनन माफिया और सफ़ेद पोश किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े थे। जिसको अंग्रेजी में ओब्लाइज करना भी कहते हैं।
आपदा में अवसर ढूंढना अक्सर स्वार्थी लोगों की आदत होती है। हो सकता है कि पुल टूटने के बहाने फिर से कई लोगों को अवसर मिल जाये और जनता को एक बार फिर इससे भी भयावह परिणाम देखने को मिले। अब देखना यह है कि पिता द्वारा बनवाये गये पुलों को वर्तमान कोटद्वार विधायक व विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु भूषण खंडूरी खनन माफियाओं के चंगुल से बचा पाएंगी।